ख्याल

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आज फिर उसका ख्याल आया
आज फिर वो चेहरा नज़र आया
यादो के घूंघट में वो
जो अपनी खिलखिलाहट दबाये बैठे थे
मन की कनखियों से गुज़रकर
वो साज़ जो भूल बैठे थे
फिर एक दफह जुबां पर उतार आया
आज फिर वो चेहरा नज़र आया

भूले-बिसरे वो सुरमयी दिन थे
बेबाक सर्दियों की ठिठुरती रातें
कभी गर्मियों की चिपचिप
तो कभी उसकी बाहों का कम्बल
वो ठंडे जिस्म
वो रूहानी हसरतें
वो अधूरे किस्से
वो बेवा के जैसी शामें
नयी आशिकी के पैमाने
और नए नए नज़राने
वो ज्वालामुखी सी फटती ख्वाइशें
और पूरा करने की नाकाम कोशिशें
पर कभी रुके होते तो
इल्म होता के कहाँ चले आये
दर्द हुआ कभी कभी तो
आंसुओं का मलहम लगा लिया
और न पार पा सके तो
बेचैनी में हफ्ता गुज़ार दिया
जिसकी याद में गुज़ारे वो हफ्ते
आज फिर उसका ख्याल आया
आज फिर वो चेहरा नज़र आया

लोग कहते थे हमसे
क़ि उसके आशिक़ों की फ़ेहरिस्त
आज भी बहुत लंबी है
हमें तो आज भी उसमें
बस एक ही दीवाना नज़र आया
आज फिर वो चेहरा नज़र आया
धुल जमी यादों में
एक कतरा अपना दफ़्न नज़र आया
कुरेदा तो खिलखिलाकर हँस पड़ा
जानें कौनसा लतीफा था
दिलपे जिसका असर आया

आज फिर गुज़रे पलों के बीच
उसका ख्याल आया
यादों के झुरमुटों से झांकता
चेहरा फिरसे नज़र आया
आज फिर एक चेहरा नज़र आया
आज फिर एक चेहरा नज़र आया।।

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